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पंचायतों में सचिवीय व्यवस्था part-01

छत्तीसगढ़ पंचायत राज व्यवस्था अंतर्गत प्रदेश में कुल 11,693 ग्राम पंचायतें गठित/स्थापित है। वर्तमान में 10978 ग्राम पंचायत सचिवों के पद स्वीकृत हैं। ग्राम पंचायत सचिवों की नियुक्ति का अधिकार तथा प्रशासकीय नियंत्रण मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत को है।

विभाग अंतर्गत 02 विभागाध्यक्ष कार्यालय है:-

1)विकास आयुक्त

2) पंचायत संचालनालय।


1. विकास आयुक्त -

विभागाध्यक्ष विकास आयुक्त की स्थापना में राज्य स्तर पर निम्न अधीनस्थ संस्थाएं है -

1.महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना

2. सामाजिक अंकेक्षण इकाई

3. प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण

4. राज्य ग्रामीण आजिविका मिशन

5. रूर्बन मिशन

6. स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण

7. छत्तीसगढ ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण

8. ग्रामीण सड़क नेटवर्क प्रबंधन इकाई (RCTRC)

9. प्रशिक्षण संस्थाएं- ठाकुर प्यारेलाल पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान

 

प्रशिक्षण संस्थाओं को छोड़कर उपरोक्त सभी योजनाओं हेतु भारत सरकार से ग्रामीण विकास हेतु बजट प्राप्त होते हैं, जिसमे राज्यांश के अंश भी शामिल होते है। उपरोक्त सभी कार्यालयो हेतु पृथक-पृथक सेटअप स्वीकृत है, साथ ही इनकी शाखाएं जिलों में भी अवस्थित है। विभागाध्यक्ष अंतर्गत प्रशासनिक अमले के अलावा तकनीकी अमले भी है, जो ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के अधीन कार्य करते है, जिनके माध्यम से निर्माण कार्यो के बेहतर क्रियान्वयन हेतु तकनीकी सहायता दी जाती है।


2. पंचायत संचालनालय -

लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण की अवधारणा को मूर्तरूप देने हेतु राज्य में त्रि-स्तरीय पंचायतीराज व्यवस्था लागू की गई है। संविधान में पंचायतों की संकल्पना स्वशासन की ऐसी संस्था के रूप मे की गई है, जो संविधान की 11वी अनुसूची में उल्लेखित 29 विषयों पर आर्थिक विकास एवं सामाजिक न्याय के लिए योजनाएं तैयार करने एवं उनके क्रियान्वयन मे सक्षम हो। इस हेतु छत्तीसगढ़ पंचायतीराज अधिनियम 1993 की धारा 49, 50 एवं 52 पर क्रमशः ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत एवं जिला पंचायतों को दायित्व एवं शक्तियां सौंपे गए है।

पंचायत संचालनालय द्वारा म मुख्यतः 15वें वित्त आयोग, जन योजना अभियान, राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान, मुख्यमंत्री पंचायत सशक्तिकरण योजना, मुख्यमंत्री समग्र ग्रामीण विकास योजना, त्रि-स्तरीय पंचायतीराज संस्थाओं का क्षमता विकास योजना, मुख्यमंत्री आंतरिक गली विद्युतीकरण योजना, जिला पंचायत विकास निधि, जनपद पंचायत विकास निधि, छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग क्षेत्र विकास प्राधिकरण, स्वामी विवेकानंद युवा प्रोत्साहन योजना आदि के कार्य ग्राम पंचायतों के माध्यम से कराये जाते है। पंचायत संचालनालय जिला पंचायतों, जनपद पंचायतों तथा ग्राम पंचायतों के सशक्तिकरण हेतु मार्गदर्शी संस्था है।


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ठाकुर प्यारेलाल पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान

ठाकुर प्यारेलाल पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण विकास संस्थान का शिलान्यास 24.10.2001 को किया गया। निमोरा सिथत नवनिर्मित भवन परिसर का उदघाटन भारत के माननीय प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह द्वारा 30 अप्रैल 2005 को किया गया। राज्य शासन द्वारा 17 जनवरी 2011 में संस्थान को ''छत्तीसगढ़ सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1973 के अंतर्गत स्वायत्तशासी संस्था के रूप में घोषित किया है, तदनुसार संस्थान का पंजीयन दिनांक 26.02.2011 को हुआ। संस्थान में प्रशिक्षण का प्रारंभ 01 नवम्बर 2002 से हुआ। संस्थान में व्ही.सी. नेटवर्क की स्थापना 26 अक्टूबर 2017 को की गई, जिसमें प्रदेश के 146 जनपद पंचायतों को जोड़ा गया।

 

दृष्टी (विजन) :-

स्थानीय शासन के सभी स्तरों के नव-निर्वाचित जन प्रतिनिधियों, लोक-सेवकों एवं नागर सामाज संगठनों के प्रतिनिधियों की क्षमता विकसित करना जिससे अधिकतम सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय लाभ के लिए संसाधनों का प्रबंधन करते हुए समावेशी एवं संवहनीय विकास तथा सुशासन सुनिश्चित हो सके।

 

मिशन :-

''समावेषी विकास हेतु नये उपयोगी ज्ञान का आदान-प्रदान"

समावेशी एवं संवहनीय विकास के लिए नये उपयोगी ज्ञान का सृजन एवं प्रसार करते हुए, संस्थान एक विश्वस्तरीय उत्कृष्ट ज्ञान संस्था के रूप में विकसित होना चाहता है, ताकि संस्थान, छत्तीसगढ़ तथा भारत के अन्य राज्यों में ग्रामीण विकास एवं स्थानीय शासन में सुधार हेतु मार्गदर्शन की योग्यता प्राप्त कर सके।

 

संस्थान का उददेश्य :-

(1) स्थानीय शासन, ग्रामीण विकास एवं नगरीय विकास के क्षेत्र में प्रशिक्षण, शिक्षण, शोध एवं सलाह देने के लिए शीर्ष संस्थान के रूप में कार्य करना।

(2) स्थानीय शासन में सुधार लाने तथा ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के लिए आदर्श योजना निर्माण करने एवं क्रियान्वयन में सहायता प्रदान करना।

(3) निर्वाचित जन-प्रतिनिधियों, शासकीय सेवकों तथा लोक-सेवी संस्थाओं के स्थानीय शासन तथा ग्रामीण विकास से जुडे प्रतिनिधियों की क्षमता का विकास करना।

(4) विधालयोंकेन्द्रों की स्थापना करना जिससे (अ) अध्ययन एवं उन्मुखीकरण (ब) प्रशिक्षण एवं सलाह (स) शोध एवं मुल्यांकन (द) विस्तार एवं अन्य ऐसे कार्य किये जा सकें जो संस्थान के उददेश्यों की प्रापित के लिए आवश्यक हंै।

(5) छत्तीसगढ़ शासन की सलाह से भारत अथवा विदेशों में सिथत सामान्य उददेश्यों में रूचि रखने वाले अन्य संस्थाओं, संघों तथा समितियों से सहयोग प्राप्त करना।

(6) विभिन्न संस्थाओं के बीच अन्त:संबंध विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करना, जिससे ग्रामीण विकास एवं स्थानीय सुशासन के संदर्भ में जानकारियों का आदान-प्रदान एवं ज्ञान का प्रबंधन हो सके।

(7) विश्वविधालयों के सहयोेग से संस्थान में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, डिग्री एवं अन्य विधोपार्जन विशिष्टता स्थापित करना।

(8) परीक्षाएँ आयोजित कराना एवं ऐसे व्यकितयों को सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, डिग्री एवं अन्य विधोपार्जन विशिष्टता प्रदान करना, जिन्होंने :-

(अ) संस्थान द्वारा अनुमोदित पाठयक्रम के लिए विहित परीक्षा उत्तीर्ण की हो अथवा जब तक कि केन्द्र द्वारा विहित रीति से नियमों के तहत उन्हें परीक्षा में छूट प्रदान न की गर्इ हो, अथवा,

ब विहित शतोर्ं के अनुरूप अनुसंधान कार्य किया हो।

(9) शिक्षावृतित, छात्रवृतित, वृतित एवं पुरस्कारों को स्थापित करना तथा प्रदान करना।

(10) पुस्ताकालय एवं सूचना सेवाओं की स्थापना तथा संचालन करना।

(11) उपयर्ुक्त उददेश्यों को बढ़ावा देने के लिए पुस्तकों, पुसितकाओं, पत्रिकाओं एवं शोध पत्रों का प्रकाशन करना।

(12) उन सभी गतिविधियों को संचालित करना जो उपरोक्त उददेश्यों की प्रापित के लिए सहायक अथवा आवश्यक है, तथा जिससे ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के विकास को प्रोत्साहन मिल सके।

 

 

संस्थान में उपलब्ध संसाधन :-

संस्थान में उपलब्ध संसाधनों के अंतर्गत प्रशासनिक भवन, 02 सभागार (क्षमता-160), 07 प्रशिक्षण हाॅल (क्षमता-390), कम्प्यूटर लैब (क्षमता-40), आॅडिटोरियम (क्षमता 180), कुल अतिथि गृह-04 (क्षमता-342), आवासीय परिसर (डी,,एफ,आई एवं एच टाईप-24) सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं मनोंरजन हेतु पे्रक्षागृह में सुसज्जित रंगमंच, स्वास्थयवर्धन हेतु व्यायाम शाला (जिम्नेजियम), पुरूष एवं महिला प्रशिक्षार्थियों के लिए अलग-अलग छात्रावास, विशिष्ट अतिथि वक्ताओं एवं प्रशिक्षणार्थियों के ठहरने के लिए स्वामी आत्मानंद, अतिथिगृह का निर्माण किया गया है। संस्थान में प्रशिक्षार्थियों के अध्ययन भ्रमण आदि हेतु एक 32 सीटर मिनी बस की सुविधा भी उपलब्ध है। ई&लाईब्रेरी & स्थानीय स्वशासन एवं ग्रामीण विकास के क्षेत्र में हो रहे अभिनव] प्रयोगों नवाचारों को प्रोत्साहित करने तथा प्रतिभागियों के ज्ञान एवं क्षमता के विकास हेतु तथा प्रदेश में सुशासन स्थापित करने हेतु] अत्याधुनिक वाई&फाई युक्त कम्प्यूटर से ई-लाईब्रेरी की स्थापना की गयी है।

 

संस्थान की अन्य गतिविधिया -

अनुसंधान एवं शोध लेख:- स्थानीय शासन एवं ग्रामीण विकास को प्रोत्साहित करने तथा विभिन्न संस्थाओं के बीच अन्तः संबंध विकसित करने तथा सुशासन स्थापित करने के संदर्भ में जानकारियों के आदान-प्रदान हेतु शोध एवं अनुसंधान कार्य किया जा रहा है।


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