स्वतंत्र लेखन मेरे लिए केवल शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि भावनाओं और विचारों की अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम है। यह लेखन तभी सार्थक होगा जब पाठकों का आशीर्वाद, मार्गदर्शन और सहयोग इसके साथ जुड़ा रहेगा। लेखन की यात्रा में कभी विचारों का विस्तार होगा, तो कभी प्रश्न और शंकाएँ भी सामने आएँगी। ऐसे में पाठकों का स्नेह मेरे लिए प्रेरणा और दिशा दोनों का कार्य करेगा। मैं हृदय से विनम्र अपील करता हूँ कि आप सभी अपने सुझाव, समर्थन और आशीर्वाद प्रदान कर इस स्वतंत्र लेखन को और अधिक सार्थक एवं प्रभावशाली बनाने में सहभागी बनें। आज दिनांक ०४ सितम्बर को फिर से ब्लॉग के माध्यम से आपके अंतर्मन की गुदगुदी को शब्दों में पिरोने की कोशिश करूँगा।
-सत्येन्द्र (गुड्डा भईया बिरकोना वाले)
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