ख्यार उल बुलुग (Khyar-ul-Bulugh) का अर्थ है "यौवन का विकल्प"। यह इस्लामी कानून के तहत विवाह संबंधी एक अधिकार है जो किसी नाबालिग को दिया जाता है, जो यौवन (बालिग) हो जाने के बाद अपनी शादी को स्वीकार या अस्वीकार करने का विकल्प रखता है। इसका मतलब यह है कि यदि किसी व्यक्ति की शादी उसके यौवन के पहले कर दी गई हो, तो वह यौवन प्राप्त करने के बाद चाहे तो उस विवाह को रद्द कर सकता है या उसे बनाए रख सकता है। इस अधिकार का उद्देश्य नाबालिगों के हितों की सुरक्षा करना है, ताकि वे बालिग होने पर अपनी मर्जी से शादी का निर्णय ले सकें।
मुस्लिम कानून में यह एक महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रावधान माना जाता है जो अवांछित या जबरन की गई शादियों से बचाता है। उदाहरणस्वरूप, यदि एक लड़की की शादी 15 वर्ष की आयु से पहले कर दी गई हो, तो वह 18 वर्ष की आयु तक इस विवाह को रद्द करने का अधिकार रखती है। यह अधिकार पुरुषों और स्त्रियों दोनों को प्राप्त होता है। यह प्रथा इस्लामी शरिया कानून की एक पारंपरिक व्यवस्था है, जिसे आधुनिक मुस्लिम विवाह कानूनों में भी शामिल किया गया है।
संक्षेप में, ख्यार उल बुलुग नाबालिगों को बालिग होने के बाद विवाह के सम्बंध में अपनी सहमति देने या न देने का कानूनी अधिकार प्रदान करता है, जिससे उनकी स्वतंत्रता और सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
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