1. तलाक-उल-सुन्नत (Talaq-ul-Sunnat):
- यह पैगंबर की पारंपरिक परंपराओं पर आधारित तलाक है।
- इसके दो उपप्रकार हैं:
- तलाक-ए-अहसन (Talaq-e-Ahsan): एक बार तलाक दिया जाता है जब पत्नी मासिक धर्म में नहीं होती, फिर इद्दत अवधि (तीन मासिक धर्म चक्र) तक संबंध नहीं बनाया जाता।
- तलाक-ए-हसन (Talaq-e-Hasan): तीन बार तलाक मासिक धर्म के तीन अलग-अलग चक्रों में दिया जाता है, बिना संभोग के।
2. तलाक-ए-बिद्दत (Talaq-e-Biddat) या तीन तलाक:
- इसमें तीन बार तलाक एक साथ कहा जाता है, जिससे तत्काल तलाक हो जाता है।
- भारत में यह विधिवत अवैध घोषित है।
3. तलाक-ए-तफवीज (Talaq-e-Tafweez):
- यह पत्नी को पति द्वारा दिया गया तलाक का अधिकार है, जब पति द्वारा यह शक्ति सौंप दी जाती है।
4. खुला (Khula):
- पत्नी द्वारा पति से तलाक की मांग करना, जिसमें पत्नी कुछ मुआवजा देकर तलाक ले सकती है।
5. मुबारत (Mubarat):
- आपसी सहमति से पति और पत्नी दोनों मिलकर तलाक लेते हैं।
6. फस्ख (Faskh):
- न्यायालयीय तलाक, जिसमें पत्नी धार्मिक या कानूनी आधार पर तलाक की मांग करती है।
7. इलाह (Ila):
- पति द्वारा ईमानदारी से 3 साल तक संभोग से परहेज करना (शपथ लेता है), जिसके परिणामस्वरूप तलाक हो सकता है।
8. ज़िहार (Zihar):
- पति द्वारा पत्नी को जानी-पहचानी निंदा या उपमा देना, जिससे तलाक की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
इन प्रकारों में कुछ तलाक पति के अधिकार से होते हैं, जबकि कुछ में पत्नी की पहल होती है या दोनों की सहमति से तलाक होता है। भारत में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) गैर कानूनी है, लेकिन अन्य प्रकार प्रचलित और मान्य हैं। Muslim Personal Law (शरिया) के अंतर्गत तलाक के ये नियम विभिन्न समुदायों में कुछ भिन्न हो सकते हैं।
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