Skip to main content

Followers

भारतीय साक्ष्य अधिनियम AIBE विशेषांक

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की निम्न धाराओं का प्वाइंट टू पॉइंट संक्षिप्त में  

धारा 4 – उपधारणाएँ “May Presume”, “Shall Presume”, and “Conclusive Proof”

यह धारा बताती है कि अदालत किन परिस्थितियों में किसी तथ्य की "उपधारणा करेगी", "उपधारणा कर सकेगी" या "निश्चायक सबूत" मानेगी। इसका उद्देश्य प्रमाण की धारणा को स्पष्ट करना है .


धारा 7 – प्रसंग, हेतुक और परिणाम Facts which are the occasion, cause, or effect of facts in issue

वे तथ्य सुसंगत हैं जो किसी विवादित तथ्य के प्रसंग, कारण या परिणाम हैं। उदाहरण के लिए, हत्या या चोरी के पहले और बाद की परिस्थितियाँ भी साक्ष्य में ली जा सकती हैं.


धारा 15 – आकस्मिक या साशय कृत्य Facts bearing on question whether act was accidental or intentional 

जब यह प्रश्न हो कि कोई कार्य आकस्मिक था या जानबूझकर किया गया था, तो समान प्रकृति की पूर्व घटनाएँ प्रासंगिक होती हैं। जैसे—कई बार बीमित घर जलाना यह साबित कर सकता है कि कार्य जानबूझकर था.


धारा 26 – पुलिस अभिरक्षा में स्वीकारोक्ति Confession by accused while in custody of police not to be proved against him

यदि कोई आरोपी पुलिस अभिरक्षा में रहते हुए अपराध स्वीकार करता है, तो वह साक्ष्य उस पर तब तक लागू नहीं होगा जब तक कि वह स्वीकारोक्ति मजिस्ट्रेट के समक्ष न दी गई हो.


धारा 35 – सार्वजनिक अभिलेखों की प्रविष्टियाँ Relevancy of entry in public record made in performance of duty 

किसी लोक सेवक द्वारा कर्तव्य पालन के दौरान की गई प्रविष्टियाँ साक्ष्य के रूप में मान्य होती हैं। जैसे सरकारी रजिस्टर या सार्वजनिक दस्तावेज .


धारा 39 – आंशिक दस्तावेज का साक्ष्य What evidence to be given when statement forms part of a conversation, document or series of letters or papers

जब कोई कथन किसी संवाद, दस्तावेज या रिकॉर्ड के बड़े भाग का हिस्सा हो, तो केवल उतना ही भाग प्रस्तुत किया जाएगा जितना न्यायालय के लिए आवश्यक है.


धारा 55 – शील का प्रभाव Character as affecting damages

सिविल मामलों में, व्यक्ति का चरित्र (शील) तब प्रासंगिक होता है जब वह क्षतिपूर्ति की राशि को प्रभावित करता है.


धारा 57 – प्राथमिक साक्ष्य Facts of which Court must take judicial notice

मूल दस्तावेज ही प्राथमिक साक्ष्य माना जाता है। अगर कोई दस्तावेज कई मूल प्रतियों में है, तो प्रत्येक प्रति प्राथमिक साक्ष्य होगी.


धारा 58 – स्वीकार किए गए तथ्य Facts admitted need not be proved

यदि किसी पक्ष ने किसी तथ्य को स्वीकार कर लिया है, तो उसे साबित करने की आवश्यकता नहीं रहती।


धारा 74 – सार्वजनिक दस्तावेज Public documents

सरकारी अभिलेख, न्यायालय के रिकॉर्ड और सार्वजनिक कार्यालय में रखे दस्तावेज “सार्वजनिक दस्तावेज” कहलाते हैं।


धारा 104 – साक्ष्य देने का भार Burden of proving fact to be proved to make evidence admissible

यदि किसी व्यक्ति का दावा किसी विशेष परिस्थिति पर निर्भर करता है, तो उस परिस्थिति के सबूत का भार उसी व्यक्ति पर होता है।


धारा 118 – साक्ष्य देने की योग्यता Who may testify

हर व्यक्ति साक्ष्य देने योग्य है, जब तक कि उसका मानसिक या शारीरिक दोष उसे गवाही देने में अयोग्य न कर दे।


धारा 138 – जिरह की प्रक्रिया Order of examinations

गवाह से पहले मुख्य परीक्षा, फिर प्रतिपरीक्षा (cross‑examination) और अंत में पुनः परीक्षा (re‑examination) की जाती है।


धारा 146 – प्रतिपरीक्षा में प्रश्न Questions lawful in cross-examination

प्रतिपरीक्षा के दौरान गवाह से उसके चरित्र, विश्वासयोग्यता या पूर्व कथनों के बारे में प्रश्न पूछे जा सकते हैं।


धारा 157 – पक्षकार द्वारा अपने ही गवाह से प्रश्न Former statements of witness may be proved to corroborate later testimony as to same fact

अगर कोई गवाह अदालत में गवाही देता है, तो उसने पहले किसी व्यक्ति से वही बयान दिया था, यह साक्ष्य उसकी गवाही को पुष्ट करने के लिए दिया जा सकता है।


Comments

Popular posts from this blog

चिल्ड्रन डे की ढ़ेरों बधाईयां

  मेरे प्यारे नन्हें बच्चों!   पहले, मैं सभी बच्चों को इस दिन की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देना चाहता हूँ। आप सभी इस दुनिया का सबसे अनमोल हिस्सा हैं। आपके शिक्षक उम्र और तजुर्बे में आपसे काफी बड़े है, बढ़ती उम्र उनके माथे में अनायास सिकन लाती है l दुनियाभर की बेमतलब जिम्मेदारियों के बोझ में शिक्षक को सुकून तब मिलता है जब आपका मुस्कुराता हुआ चेहरा सामने आता है l आपको शायद अभी इसका अहसास न हो, लेकिन इस बात में कोई दो राय नहीं है कि आप सभी उस ईश्वर/भगवान या उस अलौकिक परमतत्व के प्रतिरूप है l  चिल्ड्रन डे, जो कि हमारे प्रिय पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन पर मनाया जाता है, हमें यह याद दिलाता है कि बच्चों का भविष्य हमारे समाज का भविष्य है। नेहरू जी ने हमेशा बच्चों के विकास और शिक्षा को प्राथमिकता दी। उन्होंने कहा था कि "बच्चे हमारे भविष्य हैं," और यही कारण है कि हमें उन्हें प्यार, देखभाल और सही दिशा में मार्गदर्शन देना चाहिए। आज का दिन सिर्फ उत्सव मनाने के लिए नहीं हैं, बल्कि हमें यह भी सोचना है कि हम बच्चों को कैसे एक सुरक्षित, खुशहाल और समृद्ध जीवन दे सकते हैं। हमें बच्चों क...

भारत का सर्वोच्च न्यायालय

  संगठन चार्ट प्रधान सचिव रजिस्ट्रार (न्यायिक सूचीकरण) अतिरिक्त रजिस्ट्रार उप रजिस्ट्रार सहायक रजिस्ट्रार / एआर-सह-पीएस शाखा अधिकारी/कोर्ट मास्टर व्यवहार करने वाले अधिकारी रजिस्ट्रार (न्यायिक प्रशासन) अतिरिक्त रजिस्ट्रार उप रजिस्ट्रार सहायक रजिस्ट्रार शाखा अधिकारी व्यवहार करने वाले अधिकारी रजिस्ट्रार (खरीद एवं भंडार) अतिरिक्त रजिस्ट्रार उप रजिस्ट्रार सहायक रजिस्ट्रार शाखा अधिकारी व्यवहार करने वाले अधिकारी रजिस्ट्रार-I (गोपनीय कक्ष) अतिरिक्त रजिस्ट्रार उप रजिस्ट्रार सहायक रजिस्ट्रार शाखा अधिकारी व्यवहार करने वाले अधिकारी रजिस्ट्रार (न्यायाधीश प्रशासन एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध) अतिरिक्त रजिस्ट्रार उप रजिस्ट्रार सहायक रजिस्ट्रार शाखा अधिकारी व्यवहार करने वाले अधिकारी रजिस्ट्रार (प्रौद्योगिकी) अतिरिक्त रजिस्ट्रार उप रजिस्ट्रार सहायक रजिस्ट्रार(कंप्यूटर) शाखा अधिकारी व्यवहार करने वाले अधिकारी/ तकनीक. सहायक-सह-प्रोग्रामर रजिस्ट्रार-II (गोपनीय कक्ष) अतिरिक्त रजिस्ट्रार उप रजिस्ट्रार सहायक रजिस्ट्रार शाखा अधिकारी व्यवहार करने वाले अधिकारी रजिस्ट्रार (न्यायालय एवं भवन) अतिरिक्त रजिस्ट्रार उप...

1. B.Shah vs. Presiding Officer, Labour Court, AIR 1978 SC 12

 Ref : AIR 1978 SC 12 Sub :- This case is based on Section 5 of the Maternity Benefit Act, 1961 Facts of the case:- 1. A woman by the name of Sulbamal worked in an industry named Mount Stuart Estate which was related to planta- tion. 2. Sulbamal gave an application for maternity leave. The estimated period for delivery was 16-12-1967 and she deliv- ered the child on this very date. 3. Maternity benefit was given by way of salary for 72 work- ing days by the employer to the woman workman, but in this period Sunday being the holiday, was excluded by the employer. 4. Thus, being dissatisfied with the amount so provided, she filed an application before the employer in this regard. 5. It was demanded by the woman workman that she should be given full benefit of 12 weeks under the provisions of the Maternity Benefit Act, 1961 which is of full 84 days, not of 72 days because Sunday is also included in it. 6. But, she was denied of the payment of full 84 days by the employer. Trial Court...