बचपन बचाओ आंदोलन बनाम भारत संघ सुप्रीम कोर्ट का एक प्रमुख जनहित याचिका (PIL) मामला है, जिसमें भारत में बाल अधिकारों के संरक्षण, बाल श्रम विरोधी कानूनों के कड़ाई से पालन, बाल तस्करी, बाल शोषण और बाल मजदूरी को समाप्त करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देशित किया गया। इस मामले में बचपन बचाओ आंदोलन (Bachpan Bachao Andolan), जो कि एक एनजीओ है, ने बच्चों के प्रति इन अत्याचारों को उजागर करते हुए सुप्रीम कोर्ट से कार्रवाई की मांग की।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बाल अधिकारों की रक्षा को भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार), अनुच्छेद 24 (14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को खतरनाक उद्योगों में काम करने से रोक), और अनुच्छेद 39 (e) तथा (f) के तहत राज्य की जिम्मेदारी माना। कोर्ट ने कहा कि बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, और सम्मान सहित सभी मूलभूत अधिकारों का संरक्षण मिलना चाहिए।
कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को निर्देश दिए कि वे बाल श्रम और बाल तस्करी के खिलाफ प्रभावी कदम उठाएं, बाल संरक्षण समितियाँ सक्रिय करें, बच्चों की सुरक्षा के लिए विशेष कानून बनाएं और लागू करें। कोर्ट ने कई बार बाल मज़दूरी, बाल तस्करी, और बच्चों के दुरुपयोग को रोकने के लिए सख्ती से आदेश जारी किए और बचपन बचाओ आंदोलन की भूमिका को महत्वपूर्ण माना।इस निर्णय से भारत में बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा को संवैधानिक समर्थन मिला और बाल अपराधों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई के लिए प्रभावी कानूनों व कार्यप्रणाली को प्रोत्साहन मिला
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