- न्यायालय ने केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी, भारत के उच्चतम न्यायालय बनाम सुभाष चंद्र अग्रवाल (2020) में संविधान पीठ के निर्णय पर विश्वास किया, जिसमें कहा गया था कि जब सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 8(1)(ञ) के अधीन व्यक्तिगत जानकारी मांगी जाती है, तो धारा 11 के अधीन प्रक्रिया का अनिवार्य रूप से पालन किया जाना चाहिये।
- न्यायालय ने कहा कि पर-व्यक्ति को सूचना को प्रथम दृष्टया गोपनीय माना जाना चाहिये, तथा प्रभावित पक्षकारों को धारा 11 के अधीन प्रकटीकरण का विरोध करने का अवसर दिया जाना चाहिये। धारा 8 और धारा 11 को एक साथ पढ़ा जाना चाहिये, तथा प्रकटीकरण की अनुमति केवल तभी दी जानी चाहिये जब लोकहित संभावित नुकसान से अधिक हो।
सूचना का अधिकार अधिनियम के अधीन महत्त्वपूर्ण उपबंध:
- सूचना का अधिकार (धारा 3):
- इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन सभी नागरिकों को सूचना का अधिकार है।
- लोक प्राधिकारियों की बाध्यताएं (धारा 4):
- अभिलेखों का रखरखाव एवं सूचीकरण करना।
- उचित समय के भीतर अभिलेखों को कम्प्यूटरीकृत करें।
- अधिनियमन के 120 दिनों के भीतर संगठन के बारे में विभिन्न विवरण प्रकाशित करें।
- प्रभावित व्यक्तियों को प्रशासनिक या अर्ध-न्यायिक निर्णयों के कारण पदान करे।
- लोक सूचना अधिकारियों का पदनाम (धारा 5):
- प्रत्येक लोक प्राधिकारी को केंद्रीय या राज्य लोक सूचना अधिकारी नियुक्त करना होगा।
- उप-मंडल या उप-जिला स्तर पर सहायक लोक सूचना अधिकारी नियुक्त किये जाएंगे।
- सूचना अभिप्राप्त करने के लिये अनुरोध (धारा 6):
- अनुरोध लिखित, इलेक्ट्रॉनिक या मौखिक रूप से किया जा सकता है।
- आवेदकों को सूचना मांगने के लिये कारण बताने की आवश्यकता नहीं है।
- अनुरोध का निपटारा (धारा 7):
- अनुरोध के 30 दिनों के भीतर सूचना उपलब्ध कराई जानी चाहिये।
- यदि सूचना जीवन या स्वतंत्रता से संबंधित है तो उसे 48 घंटों के भीतर उपलब्ध कराया जाना चाहिये।
- जानकारी उपलब्ध कराने के लिये शुल्क लिया जा सकता है।
- सूचना के प्रकट किये जाने से छूट (धारा 8):
- इसमें छूट के लिये विभिन्न आधारों की सूची दी गई है, जिनमें राष्ट्रीय सुरक्षा, वाणिज्यिक गोपनीयता और व्यक्तिगत जानकारी सम्मिलित हैं।
- छूट के होते हुए भी लोक हित में प्रकटीकरण संभव है।
- कतिपय मामलों में पहुँच के लिये अस्वीकृति के आधार (धारा 9):
- यदि अनुरोध कॉपीराइट का उल्लंघन करता हो तो उसे अस्वीकार किया जा सकता है।
- पृथक्करणीयता (धारा 10):
- यदि छूट प्राप्त सूचना को उचित रूप से अलग किया जा सकता है तो अभिलेख के किसी भाग तक पहुँच प्रदान की जा सकती है।
- पर-व्यक्ति सूचना (धारा 11):
- किसी पर-व्यक्ति से संबंधित या उसके द्वारा प्रदान की गई सूचना को संभालने की प्रक्रिया।
- सूचना आयोगों का गठन (धारा 12-15):
- केंद्रीय एवं राज्य सूचना आयोगों की स्थापना।
- सूचना आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया।
- पदावधि एवं सेवा शर्ते (धारा 13 एवं 16):
- सूचना आयुक्तों के लिये सेवा की शर्तों, वेतन और शर्तों का विवरण।
- सूचना आयुक्तों को हटाना (धारा 14 और 17):
- सूचना आयुक्तों को हटाने के आधार और प्रक्रिया का उल्लेख।
- सूचना आयोगों की शक्तियां और कार्य (धारा 18):
- आयोग परिवादों की जांच कर सकता है और उसके पास सिविल न्यायालय की शक्तियां होती हैं।
- अपील प्रक्रिया (धारा 19):
- प्रथम और द्वितीय अपील प्रक्रियाओं से संबंधित है।
- सूचना आयोगों के निर्णय बाध्यकारी हैं।
- शास्ति (धारा 20):
- अनुचित इंकार, विलंब या बाधा के लिये लोक सूचना अधिकारियों के लिये शास्ति।
- निरतंर उल्लंघन के लिये अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की जाती है।
- सूचना का अधिकार (धारा 3):
मेरे प्यारे नन्हें बच्चों! पहले, मैं सभी बच्चों को इस दिन की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देना चाहता हूँ। आप सभी इस दुनिया का सबसे अनमोल हिस्सा हैं। आपके शिक्षक उम्र और तजुर्बे में आपसे काफी बड़े है, बढ़ती उम्र उनके माथे में अनायास सिकन लाती है l दुनियाभर की बेमतलब जिम्मेदारियों के बोझ में शिक्षक को सुकून तब मिलता है जब आपका मुस्कुराता हुआ चेहरा सामने आता है l आपको शायद अभी इसका अहसास न हो, लेकिन इस बात में कोई दो राय नहीं है कि आप सभी उस ईश्वर/भगवान या उस अलौकिक परमतत्व के प्रतिरूप है l चिल्ड्रन डे, जो कि हमारे प्रिय पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन पर मनाया जाता है, हमें यह याद दिलाता है कि बच्चों का भविष्य हमारे समाज का भविष्य है। नेहरू जी ने हमेशा बच्चों के विकास और शिक्षा को प्राथमिकता दी। उन्होंने कहा था कि "बच्चे हमारे भविष्य हैं," और यही कारण है कि हमें उन्हें प्यार, देखभाल और सही दिशा में मार्गदर्शन देना चाहिए। आज का दिन सिर्फ उत्सव मनाने के लिए नहीं हैं, बल्कि हमें यह भी सोचना है कि हम बच्चों को कैसे एक सुरक्षित, खुशहाल और समृद्ध जीवन दे सकते हैं। हमें बच्चों क...
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