वक्फ (Waqf) मुस्लिम कानून में एक धार्मिक और सामाजिक संस्था है, जिसमें किसी चल या अचल संपत्ति को इस्लाम धर्म के नाम पर स्थायी रूप से समर्पित कर दिया जाता है ताकि उसकी आय या लाभ धार्मिक, पुण्य या धर्मार्थ कार्यों में उपयोग किया जा सके। वक्फ का अर्थ संपत्ति का ऐसा अवरोध है जो अल्लाह के नाम कर दिया गया हो और जिसका उपयोग न तो बेचा जा सके, न दिया जा सके या विरासत में दिया जा सके, बल्कि उसकी आय हमेशा सामाजिक और धार्मिक उद्देश्यों के लिए खर्च हो।
वक्फ की प्रमुख विशेषताएं हैं:
- यह एक स्थायी समर्पण होता है, जिसे रद्द नहीं किया जा सकता।
- वक्फ की संपत्ति पर मालिकाना हक समाप्त हो जाता है और वह संपत्ति धार्मिक या सामाजिक कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हो जाती है।
- वक्फ में दी गई संपत्ति का लाभ गरीबों, जरूरतमंदों, मस्जिदों, मदरसों, अस्पतालों, स्कूलों आदि धार्मिक या धर्मार्थ संस्थानों को दिया जाता है।
- वक्फ के अंतर्गत संपत्ति को न तो बेच सकते हैं, न तो इसे उपहार के रूप में दे सकते हैं और न ही इसे विरासत में बाँट सकते हैं।
भारत में वक्फ कानून वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत नियंत्रित होता है और प्रत्येक राज्य में वक्फ बोर्ड इसका प्रशासन करता है, जो वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, संरक्षण, और उसके उचित उपयोग को सुनिश्चित करता है। वक्फ की यह व्यवस्था मुस्लिम समाज के धार्मिक और सामाजिक हितों की रक्षा करती है।
संक्षेप में, वक्फ मुस्लिम कानून में वह धार्मिक संस्था है जिसमें कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को अल्लाह के नाम पर स्थायी रूप से समर्पित कर देता है ताकि उसकी लाभकारी आय धर्मार्थ कार्यों में उपयोग हो सके और संपत्ति हमेशा अहस्तांतरणीय रहे।
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